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स्काउटिंग तकनीकी शब्दावली

 स्काउटिंग की तकनीकी शब्दावली  1. स्काउटर / गाइडर :  स्काउट व गाइड यूनिट को अलग-अलग स्वतंत्र इकाई माना जाता है। स्काउट यूनिट (डुप) के यूनिट लीडर को स्काउटर व गाइड यूनिट (कम्पनी) की लीडर को गाइडर कहा जाता है। इनके लिये क्रमश: स्काउट मास्टर व गाइड कैप्टन शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है।  2. टोली नायक / टोली नायिका (पैट्रोल लीडर ) : प्रत्येक टूप या कम्पनी में स्काउट/गाइड को चार-चार टोलियों (पैट्रोल) में बांटा जाता है। प्रत्येक टोली का एक लीडर होता है उसे पैट्रोल लीडर या टोली नायक (स्काउट) नायिका (गाइड) कहते हैं।  3. मान सभा : ( Court of Honour )  टुप लीडर/कम्पनी लीडर, सहायक टुप 'लीडर/ सहायक कम्पनी लीडर व सभी पैट्रोल लीडर्स की सभा को मान सभा (कोर्ट ऑफ ऑनर ) कहते हैं। स्काउटिंग में इस सभा का बहुत महत्व है। यह सभा टूप कम्पनी के आन्तरिक, आर्थिक और अनुशासन से संबंधित मामलों को तय करती है। यह सभा प्रत्येक स्काउट/गाइड को दक्षता बैज पास करने, सेवा कार्य व हाइक करने व योग्यता वृद्धि की प्रक्रिया (प्रथम, द्वितीय, तृतीय सोपान आदि) को आगे बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान करती ह...

चरित्र, स्वास्थ्य, हस्त कला और सेवा - गाइडिंग के चार आधार स्तंभ

 चरित्र विस्तार में चरित्र एक वातावरणीय तत्व और प्रशिक्षण है और अन्त में अनुभवता का विषय है, नियमानुसार माता का प्रभाव चरित्र की प्रथम प्रेरणा देता है, लेकिन माँ तब तक ऐसा नहीं कर सकती जब तक उसमें अपने बच्चों में विकसित करने के लिए उच्च चरित्र हो ।  चरित्र का अर्थ है- आत्म विश्वास, स्व अनुशासन, प्रसन्नता, दूसरों के बारे में सोचना और अपने कर्त्तव्य व देश भक्ति की भावना को अपने अधिकार में रखना, परन्तु चरित्र के अतिरिक्त अन्य बातें भी एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए आवश्यक है। इसीलिए एक गाइड को हस्तकला, स्वास्थ के नियम और सेवा में प्रशिक्षित किया जाता है।  हस्तकला : हस्तकला सभी वर्ग के लोगों को आकर्षित करती है, क्योंकि सभी लोग नई रचना करने की इच्छा रखते हैं।  हमारे पास गाइडों में उनकी अंगुलियों के प्रयोग करने तथा उनके द्वारा ऐसा करने में खुशी प्राप्त करने के लिए उन्हें कुशलता तथा गुण विकसित करने हेतु गाइड आन्दोलन में पर्याप्त अवसर है।  स्वास्थ्य : आज हम अपने बच्चों और महिलाओं में भयावत मृत्यु दर पाते है। पोषण की कमी, दयानीय और गन्दा वातावरण, साधारण जीवन उपमों के प्रति...

टोली विधि

टोली विधि बाल्यावस्था की एक विशेषता यह है कि इस आयु वर्ग के लड़के और लड़कियां अपनी अपनी टोलियां बनाकर खेलना बातें करना और कार्य करना पसंद करते हैं इस प्रवृत्ति को टीम स्पिरिट कहा जाता है चाहे वे टीम अच्छे कार्यों के लिए हो या बुरे बच्चों की इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर लार्ड बेडेन पावेल ने स्काउटिंग में टोली विधि को अपनाया बीपी ने टोली विधि के संबंध में कहा है,-"टोली विधि लड़के /लड़कियों के लिए स्काउट/ गाइड शिक्षा का एक तरीका ही नहीं है, वरन् एकमात्र तरीका है। टोली विधि एक ऐसा आवश्यक लक्षण है, जिससे स्काउट/ गाइड प्रशिक्षण दूसरे सभी संगठनों के प्रशिक्षण से भिन्न है टोली विधि की विशेषता:- इससे उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है निरीक्षण और परीक्षण की सुविधा उपलब्ध होती है लोकतंत्रात्मक भावना का विकास होता है श्रम विभाजन के दृष्टिकोण की पुष्टि होती है मनोवैज्ञानिक विकास का अवसर प्राप्त होता है टोली विधि की सफलता पर बीपी ने स्वयं प्रयोग किया था सन 1907 में 20 लड़कों का एक शिविर, जिन्हें विभिन्न विद्यालयों तथा आयु वर्ग से चुना गया था, और बीपी ने ब्राउनसी द्वीप में आयोजित किया। 5-...